सरसों की बुवाई (Mustard Sowing)
सरसों एक महत्वपूर्ण रबी फसल है, जो भारत में व्यापक रूप से बोई जाती है। इसकी बुवाई के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी चाहिए:
बुवाई का समय
- उत्तर भारत: अक्टूबर से नवंबर तक
- दक्षिण भारत: नवंबर से दिसंबर तक
बुवाई की विधि - पंक्ति बुवाई: यह सबसे आम विधि है। बीजों को समान दूरी पर पंक्तियों में बोया जाता है।
- छिड़काव बुवाई: इस विधि में बीजों को हवा के साथ फैला दिया जाता है।
बुवाई की गहराई - 2-3 सेंटीमीटर की गहराई पर बीज बोने चाहिए।
बीज दर - प्रति हेक्टेयर 4-5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
खाद और उर्वरक - अच्छी मिट्टी की तैयारी के लिए गोबर खाद का प्रयोग करें।
- नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की उचित मात्रा में उर्वरक डालें।
सिंचाई - बुवाई के बाद नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है।
- अधिक पानी से बचें, क्योंकि इससे बीज सड़ सकते हैं।
खरपतवार नियंत्रण - खरपतवारों को समय-समय पर हटाएं या खरपतवारनाशक का उपयोग करें।
- नोट: स्थानीय जलवायु, मिट्टी की प्रकार और खेती की प्रथाओं के अनुसार बुवाई की विधि और समय में थोड़ा बदलाव हो सकता है। स्थानीय कृषि विभाग से सलाह लेने की भी सिफारिश की जाती है।
क्या आपके पास सरसों की बुवाई के बारे में कोई और प्रश्न हैं?
Tag : सरसों की खेती
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